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पौराणिक

आदि गंगा मां गोमती नदी के तट पर मनकामेश्वर नगर लखनऊ लखनपुर में विराजमान श्री मनकामेश्वर महादेव बाबा त्रेताकालीन समय से जगमगा रहे हैं| इस मंदिर में भगवान शिव जी की विशाल दर्शनीय शिवलिंग है| मान्यता अनुसार यहां मनकामेश्वर बाबा रामायण काल के हैं| जब माता सीता को लक्ष्मण जी वनवास छोड़कर वापस अयोध्या जा रहे थे, तभी वह यहीं पर रात्रि विश्राम कर भोर में भगवान शिव की पूजा - अर्चना कर प्रस्थान किये| यहां पर पूजन उपरांत उनका मन शांत हुआ यही वजह है कि आज भी मनकामेश्वर द्वार प्रवेश के बाद ही स्वत: ही मन को शांति मिल जाती है

ऐतिहासिक

मां गोमती के तट पर स्थित मनकामेश्वर मठ - मंदिर अति प्राचीन शिवालयों में से एक है| इसका निर्माण राजा हर नव धनु ने अपने शत्रु पर विजय प्राप्त करने के बाद करवाया था| जिसकी चोटी 23 स्वर्ण कलशो से सुसज्जित थी| 12 वीं शताब्दी के यमनी आक्रमणकारियों ने इस मंदिर का सारा स्वर्ण लूट कर इस मंदिर को नष्ट कर दिया था, जो करीब 500 वर्ष पूर्व नागा साधुओ (जूना अखाडा) के द्वारा पुना निर्माण के बाद आज इस रूप में है| वर्तमान मंदिर का निर्माण कार्य सेठ पूरन चंद्र को कराने का पुण्य प्राप्त हुआ| तब इसे सर्राफा का शिवाला कहा जाने लगा था| वर्ष १९३३ के करीब इस मंदिर का नाम मनकामेश्वर मठ - मंदिर पड़ा|

about
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मान्यता

जो भक्त मंदिर में श्रद्धा और विश्वास के साथ सच्चे ह्रदय से भगवान शिव जी की पूजा - अर्चना और सेवा करता है, उस भक्तों की मनोकामना भगवान शिव जी अवश्य पूरी करते हैं| इसी से महादेव जी को मनकामेश्वर बाबा के नाम से सुशोभित किया गया है| मनकामेश्वर मठ - मंदिर की देखभाल तथा व्यवस्था गुरु - शिष्य प्रणाली द्वारा होती चली आ रही है|

कामना

"आरती में उपस्थित होकर की गयी
मनोकामना पूर्ण होती है|"

नियम

सदैव से ही यही विधान है कि सोमवार को महादेव जी की आरती मनकामेश्वर मठ- मंदिर के वर्तमान महन्त ही करे|

(पूर्व महन्त से वर्तमान महन्त)

कई वर्षो पहले मंदिर झाड़ियों में था एक भक्त नित्य महादेव जी की सेवा तथा दर्शन करता था, भोले शंकर प्रसन्न हुए भक्तों को अपना चमत्कार दिखाया जिससे भक्त ने ग्रहस्थ आश्रम को त्याग कर गुरु दीक्षा लेकर सन्यास धारण किया गुरु ने नाम दिया राम गिरी आगे चलकर काका राम गिरी ही फक्कड़ काका कहलाये| बाद में श्री पंचदेश नाम जूना के पदाधिकारियों के द्वारा महन्त की गद्दी पर मनोनीत किया, वह २ फुट लाख की लकड़ी का सोटा रखते थे जो आज भी मठ - मंदिर में विराजित वर्तमान में 6 ठी पीढ़ी चल रही है|

  • 1. श्री महन्त राम गिरी जी महाराज
  • 2. श्री बाबा बालक गिरी जी महाराज
  • 3. श्री महन्त त्रिगुणानन्द गिरि जी महाराज
  • 4. श्री महन्त बजरंग गिरी जी महाराज
  • 5. श्री महन्त केशव गिरी जी महाराज
  • 6. श्री महंत देव्या गिरी जी महाराज
श्री महन्त राम गिरी जी महाराज

श्री महन्त राम गिरी जी महाराज

श्री बाबा बालक गिरी जी महाराज

श्री बाबा बालक गिरी जी महाराज

श्री महन्त त्रिगुणानन्द गिरि जी महाराज

श्री महन्त त्रिगुणानन्द गिरि जी महाराज

श्री महन्त बजरंग गिरी जी महाराज

श्री महन्त बजरंग गिरी जी महाराज

श्री महन्त केशव गिरी जी महाराज

श्री महन्त केशव गिरी जी महाराज

मठ के कार्य

  • मठ धार्मिक कार्यों के साथ सामाजिक कार्यों में भी अग्रिम भूमिका में रहता है|
  • माँ गोमती की आरती रोजाना और प्रत्येक माह की पूर्णिमा को वृहद स्तर पर की जाती है|
  • जाति - पंथ, वर्ग, समुदाय, अमीर - गरीब से ऊपर उठकर सामाजिक समरसता उत्पन्न कर कार्य किया जाता है|
  • जल संरक्षण, पर्यावरण रक्षण, कन्या रक्षा, धर्म रक्षा, नदी रक्षित कर सम - सामाजिक समस्याओं का चिंतन कर जागरूकता फैलाने में रक्षा करना|
  • सामूहिक फलाहार करना, हिंदुत्व का एकीकरण करना|
  • गंगा जल की जगह पर माँ गोमती के जल से अभिषेक कर विभिन्न शिवालयों में गोमा के प्रति आस्था जागरूकता कार्य करना|
  • श्रावण संकप दिलाकर भारत तिब्बत रक्षा मंच के द्वारा कैलाश मानसरोवर चीन देश से मुक्त कराने का प्रयास करना|

विशेष

  • मनकामेश्वर मठ - मंदिर के द्धार हर समुदाय (हिंदू - मुस्लिम, सिख - ईसाई, छूत - अछूत) के श्रद्धालुओं के लिए सदैव समयानुसार खुले रहते हैं|
  • आरती का समय व नियम मनकामेश्वर मठ - मंदिर के कपाट (द्धार) सभी श्रद्धालुओं / भक्तों के लिए सोमवार को प्रात 5:00 बजे खुलते हैं|
  • सोमवार के अलावा अन्य सभी दिनों में योजना मंदिर के कपाट (द्धार) प्रातः 5:30 बजे खुलते हैं|
  • सोमवार को मंदिर पूरा दिन खुला रहता है साथ ही रात्रि 11:30 बजे मंदिर के कपाट (द्धार) श्रद्धालुओं के लिए पूर्ण रूप से बंद कर दिये जाते हैं|
  • सोमवार के अलावा अन्य दिनों में मंदिर रोजना दोपहर 12:00 बजे से 3:00 बजे तक सभी श्रद्धालुओं / भक्तो के लिये बंद रहता है| साथ ही रात्रि 10:30 बजे कपाट (द्धार) बंद होते है|

आगामी आदि माँ गोमती की महाआरती की तिथियां